
सार
- प्रियंका गांधी ने किया आश्वस्त, कहा- वह जयपुर जाएं
- केसी वेणुगोपाल, राहुल गांधी, पी चिदंबरम ने भी समझाया
- सोनिया गांधी का संदेश, पार्टी की गरिमा को समझें
विस्तार
- राजस्थान के उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के पास अब कटी पतंग बनकर जयपुर लौटने के सिवा कोई चारा नहीं है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की जादूगरी के आगे उनका जोर नहीं चल पाया। विधायक दल की बैठक में पर्याप्त संख्याबल के बाद कांग्रेस नेतृत्व ने तेजी से सचिन पायलट को मनाने की कोशिश शुरू कर दी। प्रियंका गांधी वाड्रा ने फोन करके सचिन पायलट को समझाया, उन्हें जयपुर लौटकर अपना कामकाज शुरू करने की सलाह दी है।
- कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और केसी वेणुगोपाल ने सचिन पायलट और अशोक गहलोत दोनों से बात की है। राहुल गांधी भी चाहते हैं कि सचिन पायलट का पार्टी में मान सम्मान बना रहे। इस मामले में पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने भी सचिन पायलट से बात की। दूसरी ओर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पार्टी की गरिमा समझाते हुए नेताओं से उसी के अनुरूप आचरण करने की अपील की है।
सचिन पायलट की अब कितनी चलेगी?
- मीडिया विभाग के प्रभारी रणदीप सुरजेवाला ने जयपुर में ही साफ कर दिया कि सचिन पायलट के लिए दरवाजे हमेशा खुले हैं। इस पर दिल्ली के एक नेता ने कहा कि यह तो नाराजगी और मनाने का आंतरिक मामला है। सूत्र का कहना है कि सचिन पायलट ने दो बड़ी गलतियां कीं। पहली गलती शनिवार को ज्योतिरादित्य सिंधिया से कही जा रही 40 मिनट की मुलाकात है। दूसरी बड़ी गलती बयान जारी करना है।
- इस बयान में 30 विधायकों का समर्थन और अशोक गहलोत की सरकार को अल्पमत में बताना है। सूत्र का कहना है कि दोनों गलतियां पार्टी विरोधी गतिविधियों में आती है। यहां अनुशासन का मामला बनता है, लेकिन कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने इसे नजरअंदाज करते हुए सचिन पायलट को जयपुर लौटने के लिए कहा है। उन्हें अभी यह बात मान लेनी चाहिए। अपनी कोई भी बात पार्टी के फोरम पर ही रखनी चाहिए।
- सचिन पायलट को कुछ इसी तरह की सलाह रणदीप सुरजेवाला ने भी दी है। कुल मिलाकर सचिन पायलट के पास अब हारे हुए जुआरी की तरह लौट आने का ही चारा बना है।
क्या चाहते हैं सचिन पायलट?
- शक्ति परीक्षण में अशोक गहलोत की सफलता ने उनका पलड़ा बहुत भारी कर दिया है। अब समझा जा रहा है कि वह संगठन में भी अपना प्रभाव रखने की कोशिश करेंगे। वहीं, सचिन पायलट चाहते हैं कि राजस्थान प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का पद उनके पास या उनके किसी करीबी के पास रहे। सचिन पायलट की इच्छा राजस्थान सरकार में गृह, वित्त जैसे कुछ बड़े विभागों में अपने करीबी विधायकों को मंत्री बनाने की है।
- उनके करीबी लोगों का कहना है कि उपमुख्यमंत्री के तौर पर भी उनके पास कामकाज का बड़ा अवसर नहीं है। मुख्यमंत्री गहलोत लगातार उन्हें नीचा दिखाने में लगे रहते हैं। लेकिन अब सचिन पायलट की राजस्थान में आगे की राजनीति मुख्यमंत्री गहलोत के साथ तालमेल बनाकर चलने पर ही निर्भर करेगी। 2018 में राजस्थान में सरकार बनने के बाद पायलट की छवि एक दंभी नेता की बनकर रह गई है। उनके सामने इस छवि को तोड़ने की भी चुनौती रहेगी।
सिंधिया को भी जोर का झटका धीरे से लगा
भाजपा नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया की राजनीति को भी यहां जोर का झटका धीरे से लगा है। सचिन पायलट और ज्योतिरादित्य में मित्रता है, लेकिन जिस तरह से पिछले 48 घंटे में दोनों नेताओं के समीकरण सामने आए उसमें न तो ज्योतिरादित्य के कुछ हाथ आया और न ही सचिन पायलट के। पर्दे के पीछे लिखी गई